फोटोनिक चिप्स

फोटोनिक चिप्स: भारत सरकार फोटोनिक चिप्स में अनुसंधान का समर्थन कर रही है, ताकि अगली पीढ़ी की कंप्यूटिंग, जैसे 6G, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, और डेटा सेंटर को प्रोत्साहन मिल सके।

  • फोटोनिक चिप्स के बारे में: ये डेटा प्रोसेसिंग और ट्रांसमिशन के लिए विद्युत की जगह प्रकाश का उपयोग करते हैं।

    o अत्यधिक गति, उच्च बैंडविड्थ और उत्कृष्ट ऊर्जा दक्षता प्रदान करते हैं।

    o न्यूनतम ताप उत्पन्न करते हैं और विद्युतचुंबकीय हस्तक्षेप से अप्रभावित रहते हैं।

    o सघन समानांतर प्रसंस्करण का समर्थन करते हैं, जिससे ये 6G, AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, डाटा केंद्र, ऑप्टिकल इंटरकनेक्ट्स, न्यूरल नेटवर्क त्वरण और क्वांटम संचार के लिए उपयुक्त बनते हैं।

    • हाल की सरकारी पहलें एवं लक्ष्य

    o फोटोनिक चिप्स हेतु अनुसंधान समर्थन:इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and IT) फोटॉनिक इंटीग्रेटेड सर्किट्स (PICs) पर विभिन्न भौतिक प्लेटफॉर्म जैसे सिलिकॉन, लिथियम निओबेट, हीरा, पॉलिमर या मिश्रित सामग्री, और पैकेजिंग तकनीक पर अनुसंधान का समर्थन कर रहा है।

    o विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST): राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को लागू करते हुए, IISc बेंगलुरु में क्वांटम कंप्यूटिंग पर एक थीमैटिक हब स्थापित किया जा रहा है।

    ü फोटोनिक क्यूबिट्स और फोटोनिक क्वांटम प्रोसेसर विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि फोटोनिक चिप प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को प्रोत्साहन मिल सके।

    o साइबर सुरक्षा एवं AI पहलें – CERT-In (MEITY): CERT-In साइबर खतरों, कमजोरियों और मशीन लर्निंग आधारित दुर्भावनापूर्ण आक्रमणों पर अलर्ट और परामर्श जारी करता है।

    o सुरक्षित और विश्वसनीय AI (IndiaAI Mission): सुरक्षित और विश्वसनीय AI (Safe and Trusted AI भारत के IndiaAI Mission के सात प्रमुख स्तंभों में से एक है।

    o क्वांटम प्रौद्योगिकियों का विकास: सरकारी संस्थान जैसे CDOT और CDAC ऐसी क्वांटम प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहे हैं, जैसे: पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी [Post-Quantum Cryptography (PQC)] समाधान → क्वांटम कुंजी वितरण [Quantum Key Distribution (QKD)] → क्वांटम-सुरक्षित स्मार्ट वीडियो IP फोन के साथ क्वांटम-सुरक्षित वॉयस/वीडियो कॉलिंग।

    o न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग अनुसंधान: मस्तिष्क-प्रेरित दृष्टिकोण द्वारा हार्डवेयर प्रणालियाँ डिज़ाइन करने हेतु अनुसंधान, जिसमें न्यूरल नेटवर्क और स्पाइकिंग सिग्नल्स का उपयोग किया जाता है