गहरे समुद्र में खनन

गहरे समुद्र में खनन: नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, प्रशांत महासागर में 40 वर्ष पहले खनन की गई समुद्रतल की एक पट्टी अब तक पुनःस्थापित नहीं हो सकी है।

  • अध्ययन के निष्कर्ष: वैज्ञानिकों ने वर्ष 2023 में एक 8-मीटर चौड़ी पट्टी का विश्लेषण किया और पाया कि: → समुद्री तलछट (seabed sediment) में दीर्घकालिक परिवर्तन हुए हैं → गहराई में रहने वाले जीवों की जनसंख्या में कमी आई है → कुछ प्रजातियाँ पुनः बसने (recolonisation) के प्रारंभिक संकेत दिखा रही हैं।
  • गहरे समुद्र में खनन के प्रभावों पर पूर्ववर्ती शोध: तलछटी धुंध (sediment plumes), शोर, कंपन, और प्रकाश प्रदूषण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करते हैं।
  • गहरे समुद्र में खनन के बारे में: इसमें समुद्र की सतह से खनिज जमाव और धातुओं का निष्कर्षण शामिल होता है।
  • गहरे समुद्र में खनन के तीन प्रकार:

o पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल खनन: समुद्र तल से धातु-समृद्ध नॉड्यूल एकत्र करना।

o सीफ्लोर सल्फाइड निक्षेप खनन: हाइड्रोथर्मल वेंट प्रणालियों से सामग्री निकालना।

o कोबाल्ट क्रस्ट खनन: समुद्र के नीचे स्थित पहाड़ों और ज्वालामुखियों से।

  • इन स्रोतों में निकेल, दुर्लभ पृथ्वी, कोबाल्ट और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आवश्यक अन्य सामग्रियां शामिल हैं।
  • प्रयुक्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी: विशाल पंपों द्वारा वैक्यूम निष्कर्षण तथा AI-आधारित गहरे समुद्र के रोबोट का उपयोग नोड्यूल एकत्र करने हेतु किया जाता है।

o उन्नत जलमग्न मशीनों का उपयोग जलमग्न पर्वतों और ज्वालामुखियों से सामग्री के खनन हेतु किया जाता है।

o सरकारें और कंपनियाँ इन जमावों को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानती हैं, क्योंकि ज़मीनी भंडार घट रहे हैं और मांग बढ़ रही है।