समुद्र के नीचे केबल: भारत में धीरे-धीरे नए समुद्र के नीचे केबल लैंडिंग सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं। नवीनतम प्रणाली है एयरटेल की 2Africa Pearls प्रणाली, जिसमें Meta (फेसबुक की मूल कंपनी) का निवेश है। यह प्रणाली भारत की अंतरराष्ट्रीय बैंडविड्थ में 100 टेराबिट प्रति सेकंड की क्षमता जोड़ती है। इससे पहले, वर्ष 2024 में SEA-ME-WE-6 केबल भी चेन्नई और मुंबई में स्थापित की गई थी।
o ये विभिन्न देशों में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और दूरसंचार ऑपरेटरों को जोड़ती हैं।
o ये कुछ इंच मोटी होती हैं और समुद्र की कठोर परिस्थितियों का सामना करने हेतु मोटे आवरण से सुरक्षित होती हैं।
o इनके भीतर फाइबर ऑप्टिक केबल्स होते हैं, जो वैश्विक स्तर पर विशाल मात्रा में डेटा का वहन करते हैं।
o वैश्विक स्तर पर लगभग 600 केबल्स मौजूद हैं (Goldman Sachs के अनुसार)।
o लगभग 90% डेटा, 80% वैश्विक व्यापार, तथा लगभग 10 ट्रिलियन डॉलर की वित्तीय लेनदेन और सुरक्षित सरकारी जानकारी इन केबल्स के माध्यम से संचालित होती है।
o स्थलीय नेटवर्क (terrestrial network) तटीय क्षेत्रों से देश के अंदर तक कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
o भारत के पास दो घरेलू केबल प्रणालियाँ भी हैं: चेन्नई–अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (CANI) और कोच्चि–लक्षद्वीप द्वीप परियोजना।