ज़ूनोटिक रोग और वन हेल्थ दृष्टिकोण

ज़ूनोटिक रोग और वन हेल्थ दृष्टिकोण: भारत मानव-वन्यजीव-पर्यावरण के अंतःसंवहन (interface) पर ज़ूनॉटिक स्पिलओवर (संक्रमण प्रसार) जोखिमों को संबोधित करने हेतु अपनी तरह का पहला अंतर-मंत्रालयी वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने जा रहा है, यह अध्ययन विशेष रूप से पक्षी अभयारण्यों और आर्द्रभूमियों पर केंद्रित होगा, जो सिक्किम, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में स्थित हैं।

  • इसके बारे में: यह अध्ययन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) मुख्यालय में प्रारंभ किया गया और इसका उद्देश्य ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के माध्यम से एक वास्तविक समय निगरानी मॉडल विकसित करना है, जो पक्षी अभयारण्य कर्मचारियों और समीपवर्ती निवासियों में ज़ूनॉटिक रोगों की पहचान और निदान कर सके।

o इस अध्ययन का उद्देश्य भारत की पहली प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना है जो ज़ूनॉटिक स्पिलओवर को पहचान सके और संभावित सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों से निपटने की तैयारी को बेहतर बना सके।

  • ज़ूनोटिक रोगों के बारे में: ज़ूनॉटिक रोग (जिन्हें ज़ूनोसिस भी कहा जाता है) ऐसे रोग होते हैं जो जानवरों और इंसानों के बीच फैलने वाले रोगाणुओं द्वारा फैलते हैं।

o कुछ लोगों में कुछ रोगों से संक्रमित होने के बाद गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना अधिक होती है।

o ऐसे सरल उपाय मौजूद हैं जिनसे आप और आपका परिवार इन  ज़ूनॉटिक रोगों से सुरक्षित रह सकते हैं।

  • वन हेल्थ दृष्टिकोण के बारे में: इसमें वन्यजीव स्वास्थ्य, पर्यावरण विज्ञान और मानव स्वास्थ्य का एकीकरण होता है ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों की पहचान और शमन (Mitigation) किया जा सके।

o राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन (NOHM) वास्तविक दुनिया में अत्याधुनिक विज्ञान का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

o यह परियोजना पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, और कृषि मंत्रालय के बीच सहयोग से संचालित की जा रही है।