ओटावा कन्वेंशन

ओटावा कन्वेंशन: नाटो (NATO) सदस्य पोलैंड, फिनलैंड और तीनों बाल्टिक देशों ने हाल ही में ओटावा कन्वेंशन से अपनी वापसी की घोषणा की है। उन्होंने रूस से बढ़ते सैन्य खतरे और एंटी-पर्सनल लैंडमाइन्स से नागरिक हताहतों की बढ़ती चिंता का हवाला दिया है।

  • ओटावा कन्वेंशन के बारे में: यह एक वैश्विक संधि है जिसका उद्देश्य एंटी-पर्सनल माइन्स को समाप्त करना है।

o एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस जमीन में छिपी होती हैं और जब कोई व्यक्ति उनके पास जाता है या उन पर पैर रखता है, तब विस्फोट करती हैं।

  • यह संधि उत्पादन, भंडारण, उपयोग और स्थानांतरण को प्रतिबंधित करती है।
  • इसमें पीड़ितों की सहायता (victim assistance) के लिए प्रावधान हैं, विशेषकर उनके लिए जिन्होंने अपने अंग खो दिए हों या स्थायी रूप से अपंग हो गए हों।
  • ओटावा कन्वेंशन में शामिलहोने वाले देशों में रूस, अमेरिका, चीन, भारत और इजरायल शामिल हैं।
  • हालिया स्थिति: रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) के अनुसार, माइन पीड़ितों में 80% से अधिक नागरिक हैं।

o अगस्त 2024 तक, संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में 1,286 नागरिकों के माइन विस्फोटों का शिकार होने की सूचना दी, जिससे यह विश्व का सबसे अधिक लैंडमाइन्स प्रभावित देश बन गया है।