रैपिड-क्रिस्पर / तीव्र प्रोमायलोसाइटिक ल्यूकीमिया (APL)

रैपिड-क्रिस्पर / तीव्र प्रोमायलोसाइटिक ल्यूकीमिया (APL): एक नया परीक्षण जिसे रैपिड-क्रिस्पर कहा जाता है, मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल के ACTREC द्वारा CRISPR तकनीक का उपयोग कर विकसित किया गया है। यह परीक्षण तीव्र प्रोमायलोसाइटिक ल्यूकीमिया (APL) का निदान तेज़ी और सटीकता के साथ तीन घंटे से कम समय में और मौजूदा परीक्षणों की तुलना में कम लागत पर कर सकता है।

  • तीव्र प्रोमायलोसाइटिक ल्यूकीमिया (APL) के बारे में: यह ल्यूकीमिया (रक्त कैंसर) का एक दुर्लभ और आक्रामक प्रकार है, जो रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है।

o यह एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन (genetic mutation) के कारण होता है, जिसमें दो जीन — PML और RARA — त्रुटिवश आपस में जुड़ जाते हैं।

o इसके परिणामस्वरूप श्वेत रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे शरीर की संक्रमण से लड़ने और रक्तस्राव को नियंत्रित करने की क्षमता कम हो जाती है।

o यदि इसका उपचार न किया जाए, APL फेफड़ों और मस्तिष्क जैसे अंगों में गंभीर आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है, जो इलाज न मिलने पर कुछ ही दिनों में मृत्यु का कारण बन सकता है।

  • रैपिड-क्रिस्पर (RAPID-CRISPR) के बारे में: RAPID-CRISPR (Redefined Apl IDentification) परीक्षण, रोगी के परिधीय रक्त नमूने में PML-RARA जीन उत्परिवर्तन का पता लगाने के लिए CRISPR तकनीक का उपयोग करता है।

o यह परीक्षण तीन घंटे से भी कम समय में परिणाम देता है, मौजूदा परीक्षणों की तुलना में कम लागत पर उपलब्ध है, और जटिल प्रयोगशाला उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती।

o यह PML-RARA जीन को काटकर एक संकेत उत्पन्न करता है, जिसे गर्भावस्था परीक्षण स्ट्रिप की तरह एक स्ट्रिप के माध्यम से पहचाना जा सकता है।

  • CRISPR तकनीक के बारे में: CRISPR की दो प्रमुख उपयोगिताएँ हैं — जीन संपादन (Gene Editing) और आणविक निदान (Molecular Diagnosis) ।

o रैपिड-क्रिस्पर में, CRISPR का उपयोग आणविक निदान के लिए किया जाता है, जिसमें विशिष्ट जीन उत्परिवर्तन की पहचान और उन्हें काटकर सिग्नल उत्पन्न किया जाता है।