फ्लावरपॉट सांप

फ्लावरपॉट सांप: फ्लावरपॉट सांप में एक अद्वितीय जीनोम होता है, जिसमें तीन सेट के गुणसूत्र (trisomy) होते हैं, कुल 40 गुणसूत्र, जो तीन उपजीनोम (subgenomes) में विभाजित होते हैं।

  • इसके जीनोम पर किया गया शोध डीएनए मरम्मत तंत्र (DNA repair mechanisms) को उजागर करता है, जो मानव जीन विकास और डाउन सिंड्रोम जैसे ट्राइसॉमी स्थितियों को समझने में सहायक हो सकता है।
  • फ्लावरपॉट सांप (Ramphotyphlops braminus) के बारे में: इसे ब्राह्मणी ब्लाइंड स्नेक के नाम से भी जाना जाता है, यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (विशेषकर दक्षिण-पूर्व एशिया) में पाई जाती है और विश्वभर में प्रसारित की गई है।यह सबसे छोटी साँप प्रजातियों में से एक है, जिसकी लंबाई 10–20 सेमी होती है। यह अविषैला और मानवों के लिए हानिरहित होती है।
  • यह ज़मीन के अंदर बिल बनाकर रहती है और दीमक व चींटियों पर भोजन करती है।
  • विशिष्ट विशेषताएँ: अंधी होती है और केंचुए जैसी दिखती है।
  • व्यवहार: गमले की मिट्टी में पाई जाती है, इसी कारण इसका नाम “फ्लावरपॉट स्नेक” पड़ा, और इसे माली अक्सर खोजते हैं।
  • प्रजनन एवं आनुवंशिक विशिष्टता:

o ट्राइसॉमिक जीनोम (Trisomic genome): यह एकमात्र ज्ञात साँप है जिसमें तीन गुणसूत्र सेट होते हैं।

o अलैंगिक प्रजनन (Asexual reproduction): यह बिना संगी (mate) के प्रजनन करती है, जिसे पार्थेनोजेनेसिस (parthenogenesis) कहते हैं।

  • वैज्ञानिक महत्व:

o इसके जीनोम का अध्ययन कशेरुकियों में डीएनए मरम्मत पर प्रकाश डालता है।

o यह जानवरों में अलैंगिकता के विकास को समझने में मदद करता है।

o यह मानव गुणसूत्र विकारों जैसे डाउन सिंड्रोम की संभावित समझ में सहायक हो सकता है।