केसर मिशन

केसर मिशन: पूर्वोत्तर भारत NECTAR की तकनीक-प्रेरित पहल के माध्यम से केसर उत्पादन का अगला केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।

  • इसके बारे में: मिशन केसर पहल (2021 से) ने सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में केसर की खेती का विस्तार किया।

o अरुणाचल प्रदेश के मेंचुखा और सिक्किम के युकसोम में बड़े पैमाने पर खेती चल रही है, तथा इसका विस्तार नागालैंड और मणिपुर तक करने की योजना है।

o NECTAR का उद्देश्य कृषि-तकनीक नवाचार को बढ़ावा देना और मौजूदा फसलों को प्रभावित किए बिना कृषि क्षमता में वृद्धि करना है।

  • केसर के बारे में: पहले यह केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित था, जहां पंपोर को "कश्मीर का केसर कटोरा" कहा जाता है।

o वर्षा: 1000-1500 मिमी वार्षिक आवश्यकता।

o पौधा: केसर को क्रोकस सैटिवस एल. फूल के कलंक (stigma) से निकाला जाता है।

o स्थानीय नाम: कोंग (कश्मीरी), ज़ाफ़रान (उर्दू), और केसर (हिंदी) के नाम से जाना जाता है।

  • मौसम और खेती की स्थितियाँ:

o बुवाई: जून-जुलाई, कुछ स्थानों पर अगस्त-सितंबर।

o फूल आना: अक्टूबर में प्रारंभ।

मृदा: चूना-युक्त (calcareous), ह्यूमस-समृद्ध और अच्छी जल-निकासी वाली मिट्टी (pH 6-8) में अच्छी तरह उगती है।

o जलवायु: गर्मी और सर्दी का स्पष्ट अंतर आवश्यक; -20°C से 40°C के बीच तापमान सहन कर सकती है।

  • गुणवत्ता और लाभ:

    o क्रोसीन सामग्री: कश्मीरी केसर में 8% क्रोसीन होता है; अन्य किस्मों में 5-6% क्रोसीन पाया जाता है।

    o औषधीय गुण: रक्तचाप को कम करता है, एनीमिया, माइग्रेन का इलाज करता है और अनिद्रा में सहायता करता है।

    • कॉस्मेटिक उपयोग: त्वचा की गुणवत्ता में सुधार करता है, रंजकता (pigmentation) को कम करता है और दाग-धब्बों को कम करता है।
    • खाद्य उपयोग: पारंपरिक व्यंजनों, पेय पदार्थों, कन्फेक्शनरी और खाद्य रंग में अभिन्न अंग।
    • मान्यता:

    o GI टैग: 2020 में, कश्मीरी केसर को भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणन प्राप्त हुआ।

    o GIAHS स्थिति: संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा इसे वैश्विक कृषि विरासत प्रणाली (GIAHS) के रूप में मान्यता दी गई।

    • सरकारी पहलें:
    • राष्ट्रीय केसर मिशन (2010-11): राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत जम्मू और कश्मीर में केसर की खेती को समर्थन दिया गया।
    • NECTAR: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय। उत्तरी-पूर्व भारत में उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए केसर की खेती को बढ़ावा दिया।