केसर मिशन: पूर्वोत्तर भारत NECTAR की तकनीक-प्रेरित पहल के माध्यम से केसर उत्पादन का अगला केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
o अरुणाचल प्रदेश के मेंचुखा और सिक्किम के युकसोम में बड़े पैमाने पर खेती चल रही है, तथा इसका विस्तार नागालैंड और मणिपुर तक करने की योजना है।
o NECTAR का उद्देश्य कृषि-तकनीक नवाचार को बढ़ावा देना और मौजूदा फसलों को प्रभावित किए बिना कृषि क्षमता में वृद्धि करना है।
o वर्षा: 1000-1500 मिमी वार्षिक आवश्यकता।
o पौधा: केसर को क्रोकस सैटिवस एल. फूल के कलंक (stigma) से निकाला जाता है।
o स्थानीय नाम: कोंग (कश्मीरी), ज़ाफ़रान (उर्दू), और केसर (हिंदी) के नाम से जाना जाता है।
o बुवाई: जून-जुलाई, कुछ स्थानों पर अगस्त-सितंबर।
o फूल आना: अक्टूबर में प्रारंभ।
o मृदा: चूना-युक्त (calcareous), ह्यूमस-समृद्ध और अच्छी जल-निकासी वाली मिट्टी (pH 6-8) में अच्छी तरह उगती है।
o जलवायु: गर्मी और सर्दी का स्पष्ट अंतर आवश्यक; -20°C से 40°C के बीच तापमान सहन कर सकती है।
o क्रोसीन सामग्री: कश्मीरी केसर में 8% क्रोसीन होता है; अन्य किस्मों में 5-6% क्रोसीन पाया जाता है।
o औषधीय गुण: रक्तचाप को कम करता है, एनीमिया, माइग्रेन का इलाज करता है और अनिद्रा में सहायता करता है।
o GI टैग: 2020 में, कश्मीरी केसर को भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणन प्राप्त हुआ।
o GIAHS स्थिति: संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा इसे वैश्विक कृषि विरासत प्रणाली (GIAHS) के रूप में मान्यता दी गई।