शॉर्ट-सेलिंग: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) शॉर्ट-सेलिंग नियमों में बड़े बदलाव पर विचार कर रहा है, जिससे इसे ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) सेगमेंट को छोड़कर सभी शेयरों के लिए संभव बनाया जा सकता है।
o प्रत्यक्ष प्रतिभूतियों का भुगतान (payout) BTST (Buy-Today-Sell-Tomorrow) जैसी अल्पकालिक रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
o पहले के सेटलमेंट में खरीदे गए लेकिन अभी तक डिलीवर न किए गए शेयरों को शॉर्ट-सेल नहीं माना जाएगा।
o 1988 में स्थापित, इसे SEBI अधिनियम, 1992 के माध्यम से वैधानिक अधिकार मिले।
o प्रमुख सुधारों में कागजरहित ट्रेडिंग, इलेक्ट्रॉनिक सेटलमेंट और T+1 सेटलमेंट शामिल हैं।