डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest)

डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest): भारत में डिजिटल अरेस्ट घोटालों और संबंधित साइबर अपराधों की संख्या 2022 और 2024 के बीच लगभग तीन गुना बढ़ गई, जिसमें ठगी की गई राशि 21 गुना तक बढ़ गई।

  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre - I4C) ने सक्रिय रूप से ऐसे खातों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक किया है, जो डिजिटल अरेस्ट में उपयोग किए जाते हैं।
  • डिजिटल अरेस्ट के बारे में: यह साइबर अपराधियों की एक नई रणनीति है, जिसमें वे कानून प्रवर्तन अधिकारियों (Law Enforcement Officials) का रूप धारण करके पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उन्होंने कोई गंभीर अपराध किया है और उनसे जबरन धन वसूली करते हैं।
  • काम करने का तरीका: ठग खुद को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) आदि के अधिकारी बताकर पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उन पर कोई अपराध करने का आरोप है।

oपीड़ितों को स्काइप (Skype) या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म (Video Conferencing Platforms) पर लगातार सक्रिय रहने के लिए मजबूर किया जाता है, जब तक कि उनकी मांगें पूरी न हो जाएं।

oपीड़ितों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे 'डिजिटल अरेस्ट' (Digital Arrest) में हैं और जब तक वे ठगों को भुगतान नहीं करते, तब तक वे अपने घरों से बाहर नहीं जा सकते।

  • रोकथाम के उपाय: नियमित रूप से पासवर्ड/सॉफ़्टवेयर अपडेट करना, और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (Two-Factor Authentication) सक्षम करना।
  • फ़िशिंग (Phishing) से बचना: संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करना और बिना सत्यापन के व्यक्तिगत जानकारी साझा न करना।
  • सुरक्षित उपकरण: विश्वसनीय एंटीवायरस/एंटी-मालवेयर (Antivirus/Anti-Malware) इंस्टॉल करना और सिस्टम को अपडेट रखना।
  • VPN का उपयोग करना: इंटरनेट कनेक्शन को एन्क्रिप्ट (Encrypt) करना ताकि गोपनीयता (Privacy) को बेहतर बनाया जा सके। मुफ्त/अविश्वसनीय VPNs से बचना।
  • सुरक्षित संचार: संवेदनशील जानकारी (Sensitive Information) के लिए एन्क्रिप्शन (Encryption) का उपयोग करना; सार्वजनिक मंचों (Public Forums) पर पासवर्ड साझा करने से बचना।