डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest): भारत में डिजिटल अरेस्ट घोटालों और संबंधित साइबर अपराधों की संख्या 2022 और 2024 के बीच लगभग तीन गुना बढ़ गई, जिसमें ठगी की गई राशि 21 गुना तक बढ़ गई।
oपीड़ितों को स्काइप (Skype) या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म (Video Conferencing Platforms) पर लगातार सक्रिय रहने के लिए मजबूर किया जाता है, जब तक कि उनकी मांगें पूरी न हो जाएं।
oपीड़ितों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे 'डिजिटल अरेस्ट' (Digital Arrest) में हैं और जब तक वे ठगों को भुगतान नहीं करते, तब तक वे अपने घरों से बाहर नहीं जा सकते।