ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation)

ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation): हाल ही में, चीनी शोधकर्ताओं ने एक आनुवंशिक रूप से परिवर्तित सूअर के यकृत को एक मस्तिष्क-मृत मानव प्राप्तकर्ता में प्रत्यारोपित कर उसकी कार्यक्षमता और जीवनशीलता का मूल्यांकन किया।

  • ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन के बारे में: इसे जीवित कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों को किसी गैर-मानव प्राणी से मानव प्राप्तकर्ता में प्रत्यारोपित करने, आरोपित करने या प्रवाहित करने के रूप में परिभाषित किया जाता है।

o एक्स विवो अंतःक्रिया (Ex Vivo Interaction): इसमें वे मानव कोशिकाएं, ऊतक या अंग सम्मिलित होते हैं, जिनका शरीर के बाहर किसी गैर-मानव प्राणी की कोशिकाओं/ऊतकों से पहले से संपर्क रहा हो।

o ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 1980 के दशक में मानव हृदय पर ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन के प्रारंभिक प्रयास किए गए थे।

o आनुवंशिक रूपांतरण: मानव प्राप्तकर्ताओं में प्रतिरक्षा अस्वीकृति को रोकने के लिए यह अनिवार्य है।

o प्रत्यारोपण पश्चात निगरानी: यह अंग की कार्यक्षमता सुनिश्चित करता है और संभावित प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का पता लगाता है।

  • ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन के लिए सूअरों का उपयोग क्यों किया जाता है:

o चिकित्सीय उपयोग: सूअर के हृदय के वाल्व का उपयोग 50 वर्षों से अधिक समय से मानव वाल्व प्रतिस्थापन में किया जा रहा है।

o समानता: मानवों के साथ रचनात्मक एवं शारीरिक समानता सूअरों को आदर्श अंगदाता बनाती है।

o उपलब्धता: सूअरों का बड़े पैमाने पर पालन किया जाता है, जिससे अंग सस्ते और आसानी से सुलभ होते हैं।

o आकार मिलान: सूअरों की विभिन्न नस्लें मानव आवश्यकताओं के अनुसार अंगों के आकार को अनुकूलित करने की सुविधा देती हैं।

  • प्रक्रिया: आनुवंशिक रूप से संपादित सूअर का यकृत मस्तिष्क-मृत मानव प्राप्तकर्ता में प्रत्यारोपित किया गया।
  • प्रमुख आनुवंशिक परिवर्तन: प्रतिरक्षा अस्वीकृति को रोकने हेतु छह जीन संपादन किए गए और संगतता बढ़ाने के लिए मानव ट्रांसजीन सम्मिलित किए गए।