आप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025

आप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025: यह विधेयक हाल ही में लोकसभा में आप्रवासन सेवाओं को सुव्यवस्थित करने, विदेशी नागरिकों के प्रवेश, निकास और निवास को विनियमित करने तथा पुराने कानूनों को बदलने के लिए पेश किया गया।

  • आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 के बारे में: इसका उद्देश्य भारत की आव्रजन प्रणाली (Immigration System) का आधुनिकीकरण, सीमा सुरक्षा (Border Security) को सुदृढ़ करना और विदेशी नागरिकों के पंजीकरण (Foreigners' Registration) को विनियमित करना है।
  • पुराने कानूनों को प्रतिस्थापित करता है: पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 → विदेशी नागरिकों का पंजीकरण अधिनियम, 1939 → विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 → आव्रजन (वाहकों की देयता) अधिनियम, 2000।
  • मुख्य विशेषताएँ:

o साक्ष्य का भार (Onus of Proof): नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी व्यक्ति पर होगी, न कि राज्य पर।

o कठोर दंड: नकली पासपोर्ट (7 साल की जेल + ₹10 लाख तक जुर्माना) → जाली दस्तावेज़ (5 साल की जेल + ₹5 लाख तक जुर्माना) → अधिक समय तक रहना/अतिक्रमण (3 साल की जेल + ₹3 लाख तक जुर्माना) → अनधिकृत प्रवेश (₹5 लाख तक जुर्माना)

o वीजा और पासपोर्ट नियम: कोई भी व्यक्ति वैध पासपोर्ट/वीजा के बिना भारत में प्रवेश नहीं कर सकता और विदेशियों को आगमन पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

o आप्रवासन अधिकारियों के अधिकार: बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकता है और विदेशियों की आवाजाही को नियंत्रित कर सकता है तथा अधिकृत एजेंसी द्वारा अपेक्षित होने पर प्रस्थान को प्रतिबंधित कर सकता है।

o विदेशियों पर प्रतिबंध: राष्ट्रीय हित के आधार पर प्रवेश को अस्वीकार किया जा सकता है और नाम परिवर्तन, आवागमन और संरक्षित क्षेत्रों तक पहुँच पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

o संस्थागत दायित्व: शैक्षणिक संस्थान (विदेशी छात्रों को पंजीकृत करना होगा और उनकी रिपोर्ट करनी होगी) और चिकित्सा संस्थान (विदेशी नागरिकों का रिकॉर्ड रखना होगा)। 

o वाहक की देयता: एयरलाइंस, शिपिंग कंपनियों और परिवहन एजेंसियों को बोर्डिंग से पहले यात्रियों के दस्तावेजों को सत्यापित करना होगा, और नियमों का पालन न करने पर कानूनी दंड लगाया जा सकता है।