श्रीनिवास रामानुजन: भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा महान गणितज्ञ की यात्रा पर आधारित पुस्तक ‘रामानुजन: जर्नी ऑफ ए ग्रेट मैथमेटिशियन’ का विमोचन किया जाएगा, जिसके बाद ‘रामानुजन की विरासत’ पर एक पैनल चर्चा आयोजित की जाएगी।
o इन्होंने 1911 में अपना पहला शोध पत्र प्रकाशित किया और 1913 में जी. एच. हार्डी के साथ पत्राचार प्रारंभ किया, जिसके परिणामस्वरूप मद्रास विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से अनुदान प्राप्त हुआ।
o 1918 में रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन के लिए निर्वाचित हुए और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज के पहले भारतीय फेलो बने।
o योगदान: इन्होंने 16 वर्ष की आयु तक अवकलन गणित (Differential Calculus) में महारत हासिल कर ली थी।
- इन्होंने अनंत श्रेणी, गणितीय विश्लेषण, संख्या सिद्धांत और निरंतर भिन्नों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- विभाजनों के सिद्धांत, माड्यूलर रूपों और हाइपरज्योमेट्रिक श्रेणियों के सिद्धांत पर कार्य किया, और जी. एच. हार्डी के साथ अभाज्य संख्याओं एवं रीमैन ज़ेटा फलन की परियोजनाओं पर कार्य किया।
- उनका अनंत π (पाई) श्रेणी वाला कार्य उनकी सबसे बहुमूल्य खोजों में से एक है।
o रामानुजन सिद्धांत: यह पूर्णांकों और उनकी विशेषताओं के अध्ययन से संबंधित है। यह पूर्णांकों और उनकी विशेषताओं के अध्ययन पर केंद्रित होने के कारण विशिष्ट माना जाता है।
29th April 2025