सौर कोरोनाल छिद्र

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) द्वारा एक नए अध्ययन में  सौर कोरोनाल छिद्रों की थर्मल और चुंबकीय क्षेत्र संरचनाओं का सटीक अनुमान लगाया गया है।

  • इसके बारे में: सौर कोरोना में अत्यधिक अल्ट्रावायोलेट (EUV) में अंधेरे क्षेत्र। ये अंधेरे दिखाई देते हैं क्योंकि ये आस-पास के प्लाज्मा की तुलना में ठंडे और कम सघन क्षेत्र होते हैं और ये ऐसे क्षेत्र होते हैं जये सूर्य की सतह पर स्थित क्षेत्र हैं जहां से तेज़ सौर हवा अंतरिक्ष में फैलती है
  • कोरोनल छिद्रों की विशेषताएं: ये सौर न्यूनतम के आसपास के वर्षों में अधिक सामान्य और स्थायी होते हैं और ये कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकते हैं।
  • पृथ्वी पर प्रभाव: भूचुंबकीय तूफानों और पृथ्वी के आयनमंडल में अशांति उत्पन्न कर सकता है, जिससे रेडियो संचार प्रभावित हो सकता है।

o अध्ययन से पता चलता है कि सूर्य के धब्बों के अलावा, कोरोनल छिद्रों के विकिरण प्रभाव भी भारतीय मानसून वर्षा को प्रभावित करते हैं।

  • तापीय एवं चुंबकीय क्षेत्र विश्लेषण: तापमान आकलन से सौर मंडल के गहरे आंतरिक भाग में उनकी उत्पत्ति की गहराई को समझने में मदद मिलती है।

o विकिरण फ्लक्स और ऊर्जा का अनुमान उनके अंतरग्रहीय अंतरिक्ष पर प्रभाव का आकलन करने में सहायक होता है।

o तापमान में अक्षांशीय परिवर्तन उनके निर्माण से संबंधित संकेत प्रदान करता है।