शॉर्ट-सेलिंग

शॉर्ट-सेलिंग: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) शॉर्ट-सेलिंग नियमों में बड़े बदलाव पर विचार कर रहा है, जिससे इसे ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) सेगमेंट को छोड़कर सभी शेयरों के लिए संभव बनाया जा सकता है।

  • शॉर्ट-सेलिंग के बारे में: यह निवेशकों को बिना स्वामित्व के किसी स्टॉक को बेचने की अनुमति देता है, जिससे वे शेयर मूल्य में गिरावट पर लाभ कमा सकते हैं।
  • वर्तमान नियम: नग्न शॉर्ट-सेलिंग (Naked Short-selling) प्रतिबंधित है। SEBI सेटलमेंट के समय प्रतिभूतियों की डिलीवरी अनिवार्य करता है। केवल फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में सूचीबद्ध शेयरों की शॉर्ट-सेलिंग की अनुमति है।
  • SEBI के अवलोकन: गैर-संस्थागत निवेशक गैर-F&O शेयरों की शॉर्ट-सेलिंग में एक ही दिन के भीतर स्थिति को समायोजित (square off) करके भाग लेते हैं। 

o प्रत्यक्ष प्रतिभूतियों का भुगतान (payout) BTST (Buy-Today-Sell-Tomorrow) जैसी अल्पकालिक रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है। 

o पहले के सेटलमेंट में खरीदे गए लेकिन अभी तक डिलीवर न किए गए शेयरों को शॉर्ट-सेल नहीं माना जाएगा।

  • SEBI के बारे में: SEBI भारत के प्रतिभूति बाजार (Securities Market) का नियामक प्राधिकरण है।

o 1988 में स्थापित, इसे SEBI अधिनियम, 1992 के माध्यम से वैधानिक अधिकार मिले।

o प्रमुख सुधारों में कागजरहित ट्रेडिंग, इलेक्ट्रॉनिक सेटलमेंट और T+1 सेटलमेंट शामिल हैं।

  • SEBI को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत सिविल न्यायालय जैसी शक्तियाँ प्राप्त हैं, जिससे इसे सक्षम बनाया गया है: निवेशक हितों की रक्षा के लिए जांच करना और कार्रवाई करना → व्यक्तियों को समन जारी करना, बाजार सहभागियों की पुस्तकों और रजिस्टरों का निरीक्षण करना → किसी भी प्रतिभूति के व्यापार को निलंबित करना → व्यक्तियों/संस्थाओं को प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या लेनदेन से प्रतिबंधित करना → जांच से संबंधित आय या प्रतिभूतियों को जब्त करना।