विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)

BSE सेंसेक्स 28 फरवरी को 1.9% से अधिक गिरा, जो 4 फरवरी से जारी गिरावट का हिस्सा है।

  • बाज़ार में गिरावट के मुख्य कारण: उच्च स्टॉक मूल्यांकन और आर्थिक मंदी के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पूंजी निकास किया। यह गिरावट डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए व्यापार शुल्क (Trade Tariffs) के कारण नहीं हुई।
  • इसके बारे में: FPI निवेशकों को विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में प्रतिभूतियों और वित्तीय संपत्तियों में निवेश करने की अनुमति देता है

o इसमें शेयर, अमेरिकन डिपॉजिटरी रसीदें (ADRs), बॉन्ड, ऋण साधन, म्यूचुअल फंड और विदेशी ETF निवेश शामिल हैं।

o यह किसी देश की पूंजी खाते का हिस्सा होता है और भुगतान संतुलन (BOP) में दर्ज किया जाता है।

o अत्यधिक तरल (Highly Liquid) होता है, लेकिन बाजार अस्थिरता (Market Volatility) के अधीन होता है।

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) के बारे में: FPI द्वारा धन की निकासी अधिकतर निवेशकों की मानसिकता और बाजार उतार-चढ़ाव से जुड़ी होती है, बजाय मौलिक आर्थिक समस्याओं के।

o छोटे और मध्यम आकार के बाज़ार अधिक मूल्यांकित थे, जिससे स्वाभाविक रूप से सुधार हुआ।

o बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNC) के प्रमोटरों ने भी उच्च मूल्यांकन स्तरों के कारण बाजार से निकासी की।

o यह गिरावट केवल बाहरी कारकों (जैसे व्यापार शुल्क की आशंका) के कारण नहीं, बल्कि घरेलू आर्थिक स्थितियों के कारण भी हुई।