रानीखेत रोग (न्यूकैसल रोग) का प्रकोप

  1. रानीखेत रोग (न्यूकैसल रोग) का प्रकोप: आंध्र प्रदेश के एलुरु (Eluru), गुंटूर (Guntur), प्रकाशम (Prakasam) और गोदावरी जिलों में रानीखेत रोग (Newcastle Disease) के तीव्र प्रकोप से लगभग 1.5 लाख मुर्गियों की मृत्यु हो गई।
  • रानीखेत रोग के बारे में: यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो कुक्कुट (मुर्गियाँ, टर्की, बत्तख) को प्रभावित करता है।

o अत्यधिक संक्रामक एवुलावायरस 1 (न्यूकैसल रोग वायरस - NDV) या एवियन पैरामाइक्सोवायरस-1 (APMV-1) के कारण होता है।

o पक्षियों के श्वसन, तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है।

o अंडा उत्पादन और प्रजनन क्षमता में गिरावट आती है।

o रुग्णता उच्च है; मृत्यु दर 50-100% तक हो सकती है।

o मामूली जूनोसिस (Minor zoonosis) – मनुष्यों में हल्का आँख संक्रमण (mild conjunctivitis) हो सकता है, लेकिन यह स्वयं ठीक हो जाता है।

  • संक्रमण : संक्रमित पक्षियों के मल, लार, या स्राव (feces, saliva, secretions) के सीधे संपर्क से।

o संक्रमित चारा, पानी, कपड़े और उपकरणों के माध्यम से।

यह वायरस पर्यावरण में सप्ताहों तक जीवित रह सकता है, विशेष रूप से ठंडे मौसम में।
  • लक्षण: पक्षियों की उम्र के अनुसार भिन्न होते हैं।

o कम उम्र के पक्षी: छींक आना, हांफना, कमजोरी (संक्रामक ब्रोंकाइटिस के समान)।

o तेजी से फैलाव: मृत्यु दर तेजी से बढ़ती है और प्रतिदिन बढ़ती जाती है।

  • उपचार : कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, उचित आवास और देखभाल से रोग की गंभीरता को कम किया जा सकता है।