मैतेई और थाडौ जनजाति

 प्रवासी मैतेई समुदाय के नेताओं और चयनित थाडौ नेताओं ने मणिपुर में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए "सामुदायिक समझ" स्थापित करने हेतु बैठक की।

  • थाडौ जनजाति के बारे में: ये मणिपुर के इम्फाल घाटी के पास की पहाड़ियों में रहते हैं।

o अन्य नाम: चिल्लया, कुकी, कुकिहिन, तेंजांग, थेरुवान।

o भाषा: चिन और थाडो भाषा बोलते हैं, ये सिनो-तिब्बती भाषा परिवार की तिबेटो-बर्मन शाखा से संबंधित हैं।

o गांव की संरचना: गांव के प्रमुख का घर सबसे बड़ा आवास होता है। घर के बाहर एक मंच होता है, जो चर्चा और विवाद समाधान के लिए बैठक स्थल के रूप में कार्य करता है।

o अर्थव्यवस्था: मुख्य रूप से झूम (Jhum) कृषि (काटो और जलाओ पद्धति)।

o आजीविका गतिविधियाँ: पशुपालन, खेती, शिकार और मछली पकड़ना।

o धार्मिक आस्था: पाथेन में विश्वास रखते हैं, जो ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता और शासक माने जाते हैं। पाथेन को स्वास्थ्य और सहायता के लिए बलि चढ़ाई जाती है।

o त्योहार: हुन-थाडौ सांस्कृतिक महोत्सव नए वर्ष के आगमन का प्रतीक है।

  • मैतेई समुदाय के बारे में: एक जातीय समूह, जिन्हें मणिपुरी लोग भी कहा जाता है और यह मणिपुर का प्रमुख समुदाय है।

o भाषा: मैतेई (मणिपुरी) भाषा बोलते हैं, जो भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक और मणिपुर की एकमात्र आधिकारिक भाषा है।

o वितरण: मुख्य रूप से इम्फाल घाटी, मणिपुर में बसे हुए हैं, साथ ही असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय और मिजोरम में भी पाए जाते हैं। इनकी उल्लेखनीय उपस्थिति म्यांमार और बांग्लादेश में भी है।

o जनसंख्या: मणिपुर की कुल जनसंख्या का 53% हिस्सा मैतेई समुदाय का है।

o कुल व्यवस्था: सख्त कुल-प्रणाली जिसमें कुलों के सदस्यों के बीच अंतर्विवाह की अनुमति नहीं होती।

o अर्थव्यवस्था: सिंचित खेतों में धान की खेती प्रमुख आर्थिक आधार है।

धर्म: अधिकांश हिंदू धर्म का पालन करते हैं। 8% से अधिक मुस्लिम हैं।