भारतीय बार काउंसिल

5.भारतीय बार काउंसिल: हाल ही में, केंद्र सरकार ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रस्ताव रखा।

  • परिचय: भारतीय बार काउंसिल एक वैधानिक निकाय है, जो भारतीय बार (वकीलों की संस्था) को नियंत्रित और प्रतिनिधित्व करता है। इसे संसद द्वारा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत बनाया गया था।
    • भारतीय बार काउंसिल की संरचना: इसमें कुल 18 सदस्य होते हैं।

    oभारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल इसके पदेन सदस्य होते हैं। अन्य 16 सदस्य देश के 16 राज्य बार काउंसिलों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

    oसदस्य पाँच वर्षों के लिए चुने जाते हैं, जबकि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दो वर्षों की अवधि के लिए भारतीय बार काउंसिल के सदस्यों में से चुने जाते हैं।

    oबार काउंसिल में कई समितियां होती हैं, जैसे – कानूनी शिक्षा समिति, अनुशासन समिति, कार्यकारी समिति, विधिक सहायता समिति, अधिवक्ता कल्याण निधि समिति, नियम समिति और अन्य समितियां, जो समय-समय पर विशिष्ट मुद्दों पर विचार करने के लिए बनाई जाती हैं।

    • मसौदा अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधानों के बारे में
    • वकीलों की हड़ताल पर प्रतिबंध: नए धारा 35A के तहत, अधिवक्ता बहिष्कार का आह्वान नहीं कर सकते, न ही न्यायालय कार्य से दूर रह सकते हैं और न ही न्यायालय के कामकाज में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
    • उल्लंघन = कदाचार: अधिनियम एवं नियमों के तहत दंडनीय
    • अपवाद: अधिवक्ता केवल तब हड़ताल कर सकते हैं जब यह न्याय में बाधा न डाले, जैसे – प्रतीकात्मक या किसी व्यावसायिक चिंता के लिए एक दिन की सांकेतिक हड़ताल।
    • भारतीय बार काउंसिल (BCI) में सरकारी नामांकित सदस्य: केंद्र सरकार अनुच्छेद 4 के तहत BCI में अधिकतम तीन सदस्यों को नामित कर सकती है।
    • मौजूदा सदस्य: अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल और प्रत्येक राज्य बार काउंसिल से एक-एक सदस्य।
    • केंद्र सरकार की शक्ति (नई धारा 49B): केंद्र सरकार BCI को अधिनियम या संबंधित नियमों को लागू करने के लिए आवश्यक निर्देश दे सकती है।