बोस मेटल

चीन और जापान के एक शोध दल ने यह संकेत दिया है कि नाइओबियम डिसेलेनाइड (NbSe₂) बोस मेटल बन सकता है।

  • इसके बारे में: धातुएँ सीमित चालकता (finite conductivity) के साथ विद्युत का संचालन करती हैं, जो तापमान के साथ बदलती है।
  • अतिचालकता (Superconductivity): कुछ धातुएँ, जैसे जिंक (Zinc), बहुत कम तापमान पर अनंत चालकता (Infinite Conductivity) प्रदर्शित करती हैं, क्योंकि कूपर पेयर्स (Cooper Pairs) का निर्माण होता है।
  • बोस मेटल अवधारणा: कुछ धातुएँ निम्न तापमान पर अतिचालक नहीं बनती हैं, लेकिन फिर भी कूपर पेयर्स का निर्माण करती हैं।

o ये धातुएँ इलेक्ट्रॉनों के बजाय कूपर पेयर्स के माध्यम से विद्युत का संचालन करती हैं, लेकिन दीर्घकालिक अतिचालक सामंजस्य स्थापित करने में विफल रहती हैं।

o इस अवस्था को बोस मेटल कहा जाता है, जिसे असामान्य धात्विक अवस्था (AMS) भी कहा जाता है।

  • वैज्ञानिक महत्त्व: यह पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देता है, जो कहती हैं कि धातुएँ या तो इंसुलेटर होंगी या शून्य तापमान पर अतिचालक होंगी।

o यह अनियमित परमाणु संरचनाओं, अशुद्धियों या मिश्र धातु संरचनाओं वाले धातुओं को समझने में मदद करता है।

  • NbSeऔर बोस मेटल अध्ययन: NbSe₂ एक प्रकार-II सुपरकंडक्टर है, जो चुंबकीय क्षेत्रों को निष्कासित करता है, लेकिन उन्हें पृथक स्थानों में रहने देता है। 

o एक विशिष्ट चुंबकीय क्षेत्र के अंतर्गत 2D NbSe₂ परत का अध्ययन किया गया, जिसमें कूपर युग्मों को अतिचालकता के बिना दिखाया गया।

हॉल प्रतिरोध गायब हो गया, जिससे कूपर पेयर्स को आवेश वाहक के रूप में दर्शाया गया।