बोलगार्ड-3

किसान बोलगार्ड-3 को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं, जो मॉनसेंटो (Monsanto) द्वारा विकसित की गई कीट-प्रतिरोधी जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) कपास की किस्म है।

  • बोलगार्ड-3 के बारे में: इसमें तीन Bt प्रोटीन (Cry1Ac, Cry2Ab, और Vip3A) होते हैं, जो कीड़ों की आंत की कार्यप्रणाली को बाधित करके उन्हें मारते हैं।

oबैसिलस थुरिंजिएंसिस (Bacillus thuringiensis -Bt) एक मृदा-जीवाणु है, जिसमें कीटनाशक गुण होते हैं।

o Bt जीन को कपास जैसी फसलों में डाला गया है, जिससे उन्हें कीट-प्रतिरोधक गुण मिलते हैं।

o बोलगार्ड-1 को भारत में 2002 में पेश किया गया, इसके बाद बोलगार्ड-2 को 2006 में लाया गया, जो अभी भी उपयोग में है।

o हालांकि, बोलगार्ड-2 सफेद मक्खी (whitefly) और गुलाबी सुंडी (pink bollworm) के खिलाफ प्रभावी नहीं है, जो पंजाब में क्रमशः 2015-16 और 2018-19 में उभरकर सामने आए।

o बोलगार्ड-3 विशेष रूप से गुलाबी सुंडी जैसे लेपिडोप्टेरन कीटों के खिलाफ प्रभावी है।

  • BG-2RRF: अधिक संभावित विकल्प

oबोलगार्ड-3 भारत में अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन बोलगार्ड-2 राउंडअप रेडी फ्लेक्स (BG-2RRF) को स्वीकृति मिलने की संभावना अधिक है।

oBG-2RRF के परीक्षण 2012-13 में किए गए थे, लेकिन इसका व्यावसायिक उपयोग अभी भी नियामक स्वीकृति के अधीन है।

oBG-2RRF कपास को शाकनाशियों (herbicides) के प्रति अधिक सहनशील बनाता है, जिससे किसान खरपतवार को नियंत्रित कर सकते हैं बिना फसल को नुकसान पहुँचाए, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है।

  • कपास प्रौद्योगिकी में वैश्विक प्रगति: ब्राज़ील बोलगार्ड-5 का उपयोग कर रहा है, जो कई प्रकार के कीटों, खरपतवारों और कीड़ों से सुरक्षा प्रदान करता है। इससे प्रति हेक्टेयर 2400 किलोग्राम तक उत्पादन होता है, जबकि भारत में यह केवल 450 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।