5.ब्लैक प्लास्टिक: हाल के अध्ययनों ने खाद्य पैकेजिंग और उपभोक्ता उत्पादों में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली ब्लैक प्लास्टिक के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
oरिसाइक्लिंग संबंधी चुनौतियाँ: मानक रिसाइक्लिंग सुविधाएँ ब्लैक प्लास्टिक को ऑप्टिकल सॉर्टिंग सिस्टम से नहीं पहचान सकतीं, जिससे इसे लैंडफिल (कूड़ा-घर) या जलाने के लिए भेज दिया जाता है।
oब्लैक प्लास्टिक में ऐडिटिव्स (Additives)और संदूषक (Contaminants) की उपस्थिति इसे पुनः चक्रित (recycling) करने को और अधिक जटिल बनाती है।
oपर्यावरणीय प्रभाव: लैंडफिल में जमा होने से मिट्टी और जल प्रदूषण बढ़ता है। जलाने पर विषैले प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
oस्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: कुछ ब्लैक प्लास्टिक उत्पादों में भारी धातुओं और ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स जैसे हानिकारक पदार्थ पाए गए हैं। ये पदार्थ भोजन में मिल सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
oउपभोक्ता जागरूकता: उपभोक्ताओं को ब्लैक प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और अधिक पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
oउद्योग पहल: निर्माताओं को सस्टेनेबल (सतत) सामग्री अपनाने और उत्पादों को इस प्रकार डिजाइन करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, जिससे रिसाइक्लिंग आसान हो सके।
oनीतिगत उपाय: ब्लैक प्लास्टिक के उपयोग पर कड़े नियम लागू किए जाने चाहिए प्रभावी और रिसाइक्लिंग तकनीकों पर अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।