बायोसॉलिड्स (Biosolids)

बायोसॉलिड्स (Biosolids): यह भारतीय कृषि के लिए अपार संभावनाएं रखता है और रासायनिक उर्वरकों का एक किफायती विकल्प प्रदान करता है।

  • इसके बारे में: बायोसॉलिड्स ठोस उत्पाद होते हैं, जो अपशिष्ट जल उपचार की तलछट से प्राप्त किए जाते हैं और लाभकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  • गठन प्रक्रिया: अपशिष्ट जल उपचार में ठोस और तरल पदार्थों को अलग किया जाता है। ठोस पदार्थों को भौतिक और रासायनिक उपचार से गुजारा जाता है, जिससे अर्ध-ठोस, पोषक तत्वों से भरपूर बायोसॉलिड्स बनते हैं।
  • पोषक तत्व एवं लाभ: इनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम (NPK) होते हैं, जो फसल उत्पादन के लिए आवश्यक हैं।

o मृदा उर्वरता को बढ़ाते हैं, फसल उत्पादकता में सुधार करते हैं और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करते हैं।

o खराब हुई मिट्टी में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को पुनः भरने में सहायक होते हैं।

o बायोसॉलिड्स का पुनर्चक्रण कचरे को एक मूल्यवान संसाधन में बदल सकता है, जिससे सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।

  • बायोसॉलिड्स के उपयोग को बढ़ावा देने वाली प्रमुख सरकारी पहलें:

oस्वच्छ भारत मिशन 2.0 एवं अमृत 2.0 – स्थिरता, स्वच्छता और कचरा प्रबंधन पर केंद्रित।

oवेस्ट टू वेल्थ मिशनकचरे को संसाधनों में बदलने को बढ़ावा देता है, जिसमें कम्पोस्ट, बायोगैस और ऊर्जा शामिल हैं।

oनमामि गंगे मिशनअनुपचारित सीवेज से होने वाले प्रदूषण को कम करता है और बायोसॉलिड्स संसाधन पुनर्प्राप्ति को प्रोत्साहित करता है।