फ्लोराइड विषाक्तता

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में भूजल में फ्लोराइड प्रदूषण का उच्च स्तर पाया गया है।

  • संदूषण की सीमा के बारे में: 276 गाँवों में 2 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं।
  • कों, भाभनी, म्योरपुर और दुद्धी ब्लॉक में भूजल में फ्लोराइड का स्तर निर्धारित सीमा से 5-6 गुना अधिक है।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: कमजोर और विकृत हड्डियों का कारण बनता है → बच्चों में जन्मजात विकलांगता। → वृद्ध लोगों को हड्डियों की समस्याओं के कारण चलने में कठिनाई होती है।
  • NGT के आदेश और क्रियान्वयन समस्याएँ: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने फ्लोराइड प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था।

o स्थानीय प्रशासन प्रभावी उपाय लागू करने में विफल रहा, जिससे लोगों को प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ा।

  • फ्लोराइड के बारे में: खनिजों, मिट्टी, पानी और हवा में पाया जाने वाला एक गैर-जैवनिम्नीकरणीय, दीर्घकालिक प्रदूषक, जो कोयला ईंटों को जलाने से पर्यावरण में फैलता है।
  • विषाक्तता और अनुशंसित सीमा: अत्यधिक मात्रा में अत्यधिक विषैला। WHO के अनुसार पीने के पानी में फ्लोराइड की सुरक्षित सीमा: 1.5 mg/L।
  • फ्लोराइड के प्रभाव:

o लाभ (उचित मात्रा में): दांतों की सड़न रोकता है → दंत इनेमल निर्माण में सहायक → हड्डियों के खनिज नुकसान को रोकता है।