पंचायत सशक्तिकरण सूचकांक (PDI) 2024

7.पंचायत सशक्तिकरण सूचकांक (PDI) 2024: हाल ही में PDI 2024 जारी किया गया है, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों में पंचायती राज संस्थानों (PRIs) को सौंपी गई शक्तियों और संसाधनों का मूल्यांकन किया गया है।

  • पंचायत सशक्तिकरण सूचकांक 2024 के बारे में:

oशीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य: कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु ने PDI 2024 में उच्चतम रैंकिंग हासिल की है, जो मजबूत विकेंद्रीकरण और स्थानीय शासन संरचनाओं के सशक्तिकरण को दर्शाता है।

oमहत्वपूर्ण सुधार दिखाने वाले राज्य: उत्तर प्रदेश और बिहार ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है, जिससे उनकी PDI रैंकिंग में पिछले आकलनों की तुलना में सबसे अधिक सुधार दर्ज किया गया है।

  • मूल्यांकन के प्रमुख मानदंड:

oपंचायतों का सशक्तिकरण: PRIs को दी गई कानूनी और प्रशासनिक शक्तियां।

oवित्तीय स्वायत्तता: स्थानीय निकायों को दिए गए वित्तीय संसाधन और स्वतंत्रता की सीमा।

oक्षमता निर्माण: पंचायती सदस्यों और संस्थानों के प्रशिक्षण और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम।

  • राष्ट्रीय परिदृश्य: 2024 तक, भारत में लगभग 2.62 लाख पंचायतें हैं, जो 2013-14 में 2.48 लाख थीं यह जमीनी स्तर पर शासन इकाइयों में वृद्धि को दर्शाता है।
  • भारत में पंचायती राज संस्थान (PRIs): बलवंतराय मेहता समिति (1957): इस समिति ने तीन-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की सिफारिश की थी, जिससे लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा मिले।

o73वां संविधान संशोधन अधिनियम (1992): इस अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया, नियमित चुनाव कराना अनिवार्य किया और महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गईं।

oसंरचना: ग्राम पंचायत (गांव स्तर), पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), जिला परिषद (जिला स्तर)

  • पंचायती राज मंत्रालय: मई 2004 में स्थापित किया गया, जिसका उद्देश्य PRIs से संबंधित मामलों की देखरेख करना है।
  • राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस: हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है, जो 1993 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होने का प्रतीक है।