नया आयकर विधेयक: हाल ही में लोकसभा में पेश किया गया नया आयकर विधेयक, 2025 "वर्चुअल डिजिटल स्पेस" को परिभाषित करने और कर अधिकारियों को सोशल मीडिया, डिजिटल खातों और ईमेल तक पहुँच की शक्ति प्रदान करने का प्रस्ताव करता है, विशेष रूप से तलाशी और जब्ती (Search & Seizure) के दौरान।
- नए आयकर विधेयक के बारे में: यह विधेयक "वर्चुअल डिजिटल स्पेस" को "कोई भी डिजिटल स्पेस जहां उपयोगकर्ता कंप्यूटर तकनीक के माध्यम से बातचीत, संचार और प्रदर्शन गतिविधियां कर सकते हैं" के रूप में परिभाषित करता है।
- वर्चुअल डिजिटल स्पेस का समावेश: तलाशी और जब्ती संचालन के तहत, अधिकारियों को डिजिटल संपत्तियों के कब्जे या नियंत्रण में किसी भी व्यक्ति की जांच करने की अनुमति होगी।
- मौजूदा शक्तियाँ और डिजिटल साक्ष्य संग्रह: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत, अधिकारी डेस्कटॉप, हार्ड डिस्क, ईमेल, व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि जैसी डिजिटल संचार सामग्री को जब्त कर सकते हैं।
o इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों तक पहुंच और जब्ती को सुविधाजनक बनाने के लिए क्रेडेंशियल्स (प्रमाण-पत्र) प्रदान करना अनिवार्य होगा।
- धारा 247 - एक्सेस कोड तक पहुंच और ओवरराइड करने की शक्ति: कर अधिकारियों को ऑनलाइन निवेश, ट्रेडिंग, बैंकिंग खातों, ईमेल और सोशल मीडिया तक पहुंचने का अधिकार देता है।
o जब क्रेडेंशियल्स अनुपलब्ध हों, तो एक्सेस कोड को ओवरराइड करने की अनुमति देता है।
- तलाशी और जब्ती पर मौजूदा कानूनी प्रावधान: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत, कर अधिकारियों को किताबों, खातों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की जाँच और जब्ती की शक्ति पहले से ही प्राप्त है
o कर अधिकारी अब भवनों, स्थानों, वाहनों, जहाजों, विमानों, तिजोरियों और अन्य भंडारणों की तलाशी ले सकते हैं ताकि कर चोरी को रोका जा सके।
- आयकर विधेयक, 2025 का उद्देश्य: छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को सरल बनाना।
o प्रावधानों को सुव्यवस्थित करना, अप्रचलित संदर्भों को हटाना और पठनीयता में सुधार करना।
o 1 अप्रैल, 2026 से कार्यान्वयन से पहले संसद की प्रवर समिति द्वारा इसकी समीक्षा की जाएगी