1.दोषी व्यक्ति एवं चुनाव लड़ने का अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय दोषी व्यक्तियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
o धारा 8(3) - जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951: दो या अधिक वर्षों की सजा पाने वाले व्यक्ति को अयोग्य घोषित करता है। ऐसे व्यक्ति रिहाई के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य रहते हैं।
o धारा 8(1) - जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951: बलात्कार, अस्पृश्यता (PCR अधिनियम), गैरकानूनी संगठन (UAPA) और भ्रष्टाचार (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) जैसे जघन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को, सजा की अवधि की परवाह किए बिना, रिहाई के बाद भी छह वर्षों तक अयोग्यता बनी रहती है।
oचुनाव आयोग का निर्णय (2019): चुनाव आयोग ने प्रेम सिंह तमांग (जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी थे) की अयोग्यता की अवधि को छह वर्ष से घटाकर 13 महीने कर दिया, जिससे उन्हें उपचुनाव लड़ने और जीतने की अनुमति मिली।
o जीतने की संभावना: जिन उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले हैं, उनकी जीतने की संभावना 15.4% है, जबकि स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों के लिए यह मात्र 4.4% है।