डॉल्फ़िन सफारी: हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी में डॉल्फ़िन सफारी की स्थापना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य संरक्षण और पार्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देना है।
- डॉल्फ़िन सफारी के बारे में: यह सफारी वाराणसी ज़िले के कैथी और ढकवा गांवों के बीच स्थापित की जाएगी। यह क्षेत्र गंगा नदी डॉल्फ़िन की सर्वाधिक संख्या वाला क्षेत्र है।
o उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा नदी में डॉल्फ़िन के संरक्षण के लिए ‘डॉल्फ़िन मित्रों’ की नियुक्ति की है।
- उद्देश्य: गंगा नदी डॉल्फ़िन की आबादी बढ़ाना, उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा करना, गंगा नदी के किनारे इको-पर्यटन को बढ़ावा देना, और ‘डॉल्फ़िन मित्रों’ एवं वन विभाग की सहायता से लोगों को डॉल्फ़िन संरक्षण के प्रति शिक्षित करना।
- गंगा नदी डॉल्फ़िन (Platanista gangetica): इसे “गंगा की बाघिन” भी कहा जाता है, और इसे आधिकारिक रूप से 1801 में खोजा गया था।
- प्रमुख नदी प्रणालियों में पाई जाती है: गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और करनफुली-सांगू नदी प्रणाली में – भारत, नेपाल और बांग्लादेश में।
o गंगा नदी बेसिन की विभिन्न सहायक नदियों जैसे घाघरा, कोसी, गंडक, चंबल, रूपनारायण और यमुना में पाई जाती है।
- महत्व: यह नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य की विश्वसनीय संकेतक के रूप में कार्य करती है। भारत सरकार ने इसे 2009 में राष्ट्रीय जलीय प्राणी घोषित किया, और यह असम का राज्य जलीय प्राणी भी है।
- संरक्षण स्थिति:IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered) → वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची - 1 → CITES (परिशिष्ट - 1) → प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS): परिशिष्ट - 1।
- सरकारी पहलें: प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन, विक्रमशिला गंगा डॉल्फ़िन अभयारण्य (बिहार), और राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फ़िन दिवस (5 अक्टूबर)।