चंपकम दोराईराजन

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मद्रास राज्य बनाम चंपकम दोराईराजन (1951) मामले में दिए गए निर्णय के परिणामस्वरूप प्रथम संविधान संशोधन हुआ, जिसने उच्च शिक्षा में जाति-आधारित आरक्षण को संवैधानिक मान्यता प्रदान की।

  • चम्पकम दोराईराजन के योगदान के बारे में: 1948 में, मद्रास सरकार ने सामुदायिक सामान्य आदेश (Communal G.O.) जारी किया, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में जाति के आधार पर प्रवेश आवंटित किए गए।

o श्रीमति चम्पकम दोराईराजन एवं अन्य बनाम मद्रास राज्य मामला संविधान के तहत जाति-आधारित आरक्षण की संवैधानिकता पर विचार करने वाला पहला मामला बना।

  • न्यायालय का निर्णय और प्रभाव: सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित किया, यह निर्णय दिया कि धर्म, नस्ल और जाति के आधार पर किया गया वर्गीकरण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
सरकार ने प्रथम संवैधानिक संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 15(4) जोड़ा, जिसने उच्च शिक्षा में आरक्षण को स्पष्ट रूप से वैध कर दिया।
  • कानूनी और ऐतिहासिक महत्व: इस निर्णय ने मौलिक अधिकारों की प्रधानता को राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) पर पुनः स्थापित किया।
  • सरकार ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 46 (DPSP) के तहत अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य कमजोर वर्गों के उत्थान को अनिवार्य किया गया है, लेकिन न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि लागू न किए जा सकने वाले नीति निदेशक तत्व मौलिक अधिकारों को निरस्त नहीं कर सकते।