गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य

भारत का गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य परियोजना चीता के तहत दूसरा चीता पुनर्वास स्थल होगा।

  • परिचय: गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है और मध्य प्रदेश-राजस्थान सीमा के पास 368 वर्ग किमी में फैला हुआ है।
  • यह अभयारण्य खथियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन पारिस्थितिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
  • 1974 में इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
  • चंबल नदी: यह अभयारण्य से होकर बहती है और इसे दो भागों में विभाजित करती है।
  • पारिस्थितिक महत्व: इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी एवं जैव विविधता क्षेत्र (IBA) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • स्थलाकृतिक एवं वनस्पति: यहाँ पहाड़ियाँ, पठार और गांधी सागर बाँध का जलग्रहण क्षेत्र शामिल हैं।
  • वनस्पति प्रकार: उत्तर उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन → उत्तर उष्णकटिबंधीय मिश्रित पर्णपाती वन → शुष्क झाड़ीदार वन।
  • प्रमुख वृक्ष प्रजातियाँ: खैर, सालई, करधई, धावड़ा, टेंडू, पलाश।
  • ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व: कई पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करता है, जिनमें चौरासिगढ़ किला, चतुर्भुजनाथ मंदिर, भदकाजी शैलचित्र, हिंगलाजगढ़ किला और तक्षकेश्वर मंदिर शामिल हैं।
  • भारत में चीता पुनर्वास के बारे में:

o मध्य प्रदेश का कूनो राष्ट्रीय उद्यान चीता पुनर्वास का पहला स्थल था, जहाँ नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते (2022-2023) लाए गए थे।

o अब गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को चीता संरक्षण के लिए दूसरा प्रमुख स्थल चुना गया है, जिससे चीता के आवास का विस्तार और दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित हो सके।