गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हस्ताक्षरित किया गया था। हाल ही में यह चर्चा में आया जब एक इतिहासकार ने तर्क दिया कि गांधी इससे अधिक कुछ नहीं कर सकते थे।
गांधी-इरविन समझौते के बारे में: 25 जनवरी 1931 को गांधी और कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सभी सदस्य बिना शर्त रिहा कर दिए गए।
समझौते के प्रावधान: सभी राजनीतिक कैदियों की तत्काल रिहाई (जो हिंसा के दोषी नहीं थे)।
ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रमुख मांगों की अस्वीकृति: पुलिस की ज्यादतियों की सार्वजनिक जांच, भगत सिंह और उनके साथियों की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग को ठुकरा दिया गया।