काशी तमिल संगमम्

हाल ही में, काशी तमिल संगमम् 2025 की शुरुआत हुई है, जो काशी (वाराणसी) और तमिलनाडु के बीच सभ्यतागत संबंधों का उत्सव मनाता है।

  • काशी तमिल संगमम् 2025 के बारे में:

o उत्तर-दक्षिण सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव: काशी (वाराणसी) और तमिलनाडु के बीच ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों को प्रदर्शित करता है।

o साहित्यिक आदान-प्रदान को बढ़ावा: तिरुक्कुरल, मणिमेकलई और अन्य तमिल क्लासिक्स के बहुभाषी और ब्रेल अनुवाद जारी किए गए।

o कन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम् ट्रेन: प्रधानमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाई गई।

o ज्ञान सहयोगी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और IIT मद्रास अकादमिक चर्चाओं को समृद्ध करने के लिए सहयोग कर रहे हैं।

  • तिरुक्कुरल के बारे मेंतिरुवल्लुवर द्वारा रचित, जिसका अर्थ "पवित्र दोहे" है। इसमें नीति, शासन, प्रेम और आध्यात्मिकता को शामिल किया गया है। यह तीन खंडों में विभाजित है: अरम (Aram) – सद्गुण, पोरुल (Porul) – धन और इनबम (Inbam) – प्रेम
  • मणिमेकलई: एक बौद्ध महाकाव्यसिलप्पदिकारम का अगला भाग, जिसे अक्सर "विरोधी-प्रेम कथा" कहा जाता है।
  • मणिमेकलई की कहानी: एक नृत्यांगना जो बौद्ध भिक्षुणी बन गई।
  • उत्तर और दक्षिण के बीच ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंध
  • ब्रह्मांड पुराण संदर्भ: अयोध्या के राजा दशरथ ने कांचीपुरम जाकर अंबा कामाक्षी देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
  • 15वीं शताब्दी का संबंध: मदुरै के पांड्य राजा पराक्रम पांड्य ने सिवकाशी में शिव मंदिर का निर्माण किया, जो काशी की पवित्रता से प्रेरित था।