स्थानीय रिपोर्टों ने पुष्टि की है कि कबरताल— एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की ऑक्सबो झील—गंभीर रूप से लुप्तप्राय हो रही है और इसे पुनर्जीवित और सतत बनाए रखने के लिए तत्काल संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है।
o इसे "कबरताल झील" के नाम से भी जाना जाता है, यह एक वर्षाजल (Rainfed) झील है।
o यह गंडक नदी (जो गंगा की सहायक नदी है) के मोड़ (Meandering) के कारण बनी है।
o उत्तर बिहार के इंडो-गंगा मैदानी भाग के बड़े हिस्से को कवर करती है।
o इसकी पारिस्थितिकीय महत्ता के कारण इसे 2020 में इसे "रामसर साइट" घोषित किया गया।
o यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, जिनमें शामिल हैं: रेड-हेडेड गिद्ध (Sarcogyps calvus), सफेद पीठ वाला गिद्ध (Gyps bengalensis), भारतीय गिद्ध (Gyps indicus), संघचारी टिटवी (Vanellus gregarius), बेयर की पचार्ड बतख (Aythya baeri)।
o अर्धचंद्राकार (Crescent-shaped) होती है और आमतौर पर बाढ़ के मैदानों (Floodplains) में पाई जाती है।
जब नदी की धारा कटकर अलग हो जाती है, तब एक स्थायी जल निकाय के रूप में यह झील रह जाती