आदित्य-एल1 मिशन

भारत के पहले समर्पित अंतरिक्ष-आधारित सौर मिशन ने नियर अल्ट्रा-वायलेट (NUV) बैंड में अपने सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) का उपयोग करके निचले सौर वायुमंडल (फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर) में सौर फ्लेयर (Solar Flare) 'कर्नेल' (kernel) की पहली छवि कैप्चर करके एक अभूतपूर्व अवलोकन किया है।

  • आदित्य-एल1 मिशन के बारे में:

o प्रक्षेपण: 2 सितंबर, 2023 (ISRO PSLV C-57 रॉकेट द्वारा)

o कक्षा स्थिति: 6 जनवरी, 2024 को पृथ्वी-सूर्य के पहले लैग्रेंज बिंदु (L1) के चारों ओर एक बड़े हेलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित।

o L1 बिंदु: पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर सूर्य की ओर स्थित, जो ग्रहण या अन्य व्यवधानों के बिना निरंतर सौर अवलोकन की अनुमति देता है।

  • वैज्ञानिक पेलोड्स:

o SUIT (सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप): ISRO केंद्रों के सहयोग से IUCAA द्वारा विकसित।

o SoLEXS (सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) और HEL1OS (हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर): UR राव सैटेलाइट सेंटर (URSC), बेंगलुरु द्वारा विकसित।

o ये पेलोड NUV, सॉफ्ट एक्स-रे और हार्ड एक्स-रे तरंगदैर्ध्यों में सौर फ्लेयर (Solar Flare) का पता लगाते और उनका विश्लेषण करते हैं।

  • सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) के बारे में:

o 11 विभिन्न NUV तरंग बैंड (200-400 nm) में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां कैप्चर करता है।

o संपूर्ण सौर डिस्क या वैज्ञानिक रुचि के अनुसार किसी विशिष्ट क्षेत्र का अवलोकन करता है।

o सूर्य के वायुमंडल की विभिन्न परतों, उनके जुड़ाव और गतिशीलता का अध्ययन करने में सहायक।

o SoLEXS और HEL1OS के साथ मिलकर कार्य करता है, जो सौर एक्स-रे उत्सर्जन को मॉनिटर कर सौर फ्लेयर गतिविधियों का पता लगाते हैं।
  • सौर फ्लेयर (Solar Flare) क्या है?

o सूर्य के वायुमंडल से अचानक और तीव्र ऊर्जा विस्फोट, जो सूर्य के गतिशील चुंबकीय क्षेत्र के कारण होता है।

o जब चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं टूटती हैं, तो वे प्रकाश/विकिरण और उच्च-ऊर्जा वाले आवेशित कणों के रूप में ऊर्जा मुक्त करती हैं।