2 Minute Series_28th April_Hindi

महासागरों का सतत प्रबंधन और संरक्षण

महासागरों का सतत प्रबंधन और संरक्षण: भारत की ब्लू इकोनॉमी के प्रति महत्वाकांक्षाओं के साथ-साथ आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC3) और "राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैव विविधता क्षेत्र" (BBNJ) समझौते जैसी वैश्विक पहलों का उद्देश्य महासागरीय संसाधनों के सतत प्रबंधन और संरक्षण को सुनिश्चित करना है।

  • UNOC3 के बारे में: यह सम्मेलन 9–13 जून, 2025 को फ्रांस के नीस शहर में आयोजित होगा, जिसकी सह-मेजबानी फ्रांस और कोस्टा रिका करेंगे।

o प्रतिभागी: लगभग 100 राष्ट्राध्यक्षों के साथ हजारों वैज्ञानिक, शोधकर्ता और कार्यकर्ता भाग लेंगे।

o लक्ष्य: संचालन, क्रियान्वयन-प्रधान चर्चाओं पर केंद्रित जो शासन, वित्तपोषण और ज्ञान साझा करने जैसे प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करेंगी।

o महत्त्व: पेरिस समझौते के समान, यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs), विशेषकर SDG 14 (पानी के नीचे जीवन) के अनुरूप एक अंतरराष्ट्रीय समझौते का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

  • BBNJ समझौते के बारे में: जिसे 'हाई सीज संधि' के नाम से भी जाना जाता है, यह समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।

उद्देश्य: उच्च समुद्रों का प्रबंधन और संरक्षण करना, जो महासागर का 60% से अधिक भाग कवर करते हैं, तथा हाइड्रोकार्बन प्रदूषण, अवैध मछली पकड़ना और संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण जैसे मुद्दों को संबोधित करना।

o समझौता: मार्च 2023 में इस पर सहमति बनी और यह दो वर्षों के लिए सितंबर 2023 से हस्ताक्षर के लिए खुला है।

o विशेषताएँ: यह जैव विविधता-समृद्ध क्षेत्रों में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों को परिभाषित और सीमांकित करेगा, जो तनाव में हैं।

o प्रवर्तन: यह एक अंतरराष्ट्रीय रूप से बाध्यकारी संधि होगी, जो 60 देशों द्वारा अनुसमर्थन, स्वीकृति, अनुमोदन या परिग्रहण के 120 दिनों के भीतर प्रभावी हो जाएगी।

   पक्षकार उच्च समुद्रों से प्राप्त समुद्री संसाधनों पर संप्रभु अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकते।

o महत्त्व: भारत की रणनीतिक उपस्थिति को विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से परे क्षेत्रों में सुदृढ़ करेगा।

 कई सतत विकास लक्ष्यों (SDGs), विशेष रूप से SDG 14 (पानी के नीचे जीवन) की उपलब्धि में योगदान देगा।

 भारत के समुद्री संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ करेगा, वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के लिए नए अवसर खोलेगा।

 पारंपरिक ज्ञान और सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक ज्ञान के उपयोग को बढ़ावा देगा।

28th April 2025

RNA साइलेंसिंग (Silencing)

RNA साइलेंसिंग (Silencing): संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, पौधों के रोग और कीट लगभग 40% वैश्विक फसल क्षति के लिए जिम्मेदार हैं, जिससे वार्षिक तौर पर 220 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान होता है, जिसमें पौधों के वायरस अकेले $30 अरब से अधिक का योगदान करते हैं। इन वायरसों में सबसे विनाशकारी ककड़ी मोज़ेक वायरस (CMV) है।

  • CMV के बारे में: मुख्यतः रस चूसने वाले एफिड्स द्वारा फैलाया जाता है, जिनकी लगभग 90 प्रजातियाँ इसके प्रसारण के लिए जिम्मेदार हैं।।

o संक्रमित पौधों में मोज़ेक विकृतियां, अवरुद्ध वृद्धि, विकृत फल और गंभीर उपज हानि देखी जाती है।

o CMV 1,200 से अधिक पौधों की प्रजातियों को प्रभावित करता है, जिनमें प्रमुख खाद्य और औषधीय फसलें शामिल हैं।

o CMV केले में 25–30% तक फसल हानि और कद्दू, खरबूजे तथा ककड़ी में 70% तक उपज हानि का कारण बनते है।

  • CMV के विरुद्ध पौधों में RNA साइलेंसिंग द्वारा रक्षा: यह पौधों में एक प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, जिसमें डबल-स्ट्रैंडेड आरएनए (dsRNA) छोटे हस्तक्षेपकारी आरएनए (siRNA) को सक्रिय करता है, जो वायरल RNA को नष्ट कर देते हैं। जब कोई वायरस पौधे को संक्रमित करता है, तो dsRNA का पता चलता है और डाइसर-जैसे एंजाइम इसे siRNA में काटते हैं, जो वायरल RNA की पहचान करके उसे नष्ट कर देता है।
  • संरक्षण तकनीकें:

o होस्ट-प्रेरित जीन साइलेंसिंग (HIGS): आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधे अपने स्वयं के कोशिकाओं में वायरस-विशिष्ट dsRNA का उत्पादन करते हैं, जो दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं, परंतु नियामक और लागत संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

o स्प्रे-प्रेरित जीन साइलेंसिंग (SIGS): बाह्य रूप से dsRNA का प्रयोग करना, जो बिना आनुवंशिक संशोधन के एक पर्यावरण-अनुकूल, किफायती समाधान प्रदान करता है।

28th April 2025

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