मैन्टिस श्रिम्प: अमेरिका और फ्रांस के शोधकर्ताओं ने पाया कि मैन्टिस श्रिम्प अपनी डैक्टाइल क्लब (पंजे जैसी संरचना) की अद्वितीय सूक्ष्म-संरचना का उपयोग तेज़ गति से हमला करने के दौरान उत्पन्न प्रतिघात (recoil) से स्वयं को बचाने के लिए करता है।
o डैक्टाइल क्लब शिकार पर 23 मीटर/सेकंड की गति से प्रहार करता है, जो कि पलकों की झपक से 50 गुना तेज़ है। इसका यह प्रहार झटकों की तरंगें (shockwaves) उत्पन्न करता है, किंतु मैन्टिस श्रिम्प को कोई क्षति नहीं होती।
o क्लब की सूक्ष्म-संरचना फोनोनिक शील्डिंग को सक्षम बनाती है, जो ध्वनिक तरंगों को कुंद करती है।
o लेज़रों ने एक सेकण्ड के अरबवें हिस्से के अंतराल पर क्लब की प्रतिक्रिया को उजागर किया।
o क्लब स्प्रिंग जैसी संरचनाओं में ऊर्जा संग्रहित करता है और उसे लैच जैसी टेंडन्स के माध्यम से मुक्त करता है।
o पंच से निम्न-दाब क्षेत्र बनाता हैं, जिससे वाष्प बुलबुले उत्पन्न होते हैं।
o बुलबुले के फूटने से ऊष्मा और उच्च-आवृत्ति वाले झटकों की तरंगें निकलती हैं।
o परतों की संरचना: बाहरी परत कठोर हाइड्रॉक्सीएपेटाइट की बनी होती है, जो प्रतिघात को वितरित करती है, जबकि आंतरिक परतें बायोपॉलिमर रेशों से बनी होती हैं जो प्रभाव प्रतिरोध में सहायक होती हैं।
o अनुप्रयोग: इसमें सुरक्षात्मक उपकरण, कान की सुरक्षा के उपकरण, और चोट से बचाव के उपाय शामिल हैं।
o शोधकर्ता तरंगों को फँसाने और ऊर्जा रूपांतरण के लिए बायोमिमेटिक संरचनाओं का अन्वेषण कर रहे हैं।
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