भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 69: इस धारा के तहत विवाह का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाना एक स्वतंत्र अपराध घोषित किया गया है, जिसकी सज़ा धारा 63 BNS के अंतर्गत बलात्कार की तुलना में कम है।
o बलात्कार की परिभाषा में कोई परिवर्तन नहीं: धारा 69 को धारा 63 और BNS की धारा 28 के अंतर्गत बलात्कार अथवा सहमति की परिभाषा में कोई बदलाव किए बिना शामिल किया गया है।
o दंड में कमी: इस धारा के तहत सज़ा धारा 63 BNS या IPC की धारा 375 के तहत बलात्कार की अपेक्षा कम है।
o “तथ्य के गलत धारणा” के अंतर्गत शामिल: विवाह के झूठे वादे पर प्राप्त सहमति पहले से ही BNS की धारा 28 के “तथ्य की गलत धारणा” के अंतर्गत कवर होती है, और इस कारण यह धारा 63 के तहत बलात्कार मानी जाती है।
o बलात्कार कानून के साथ अतिक्रमण: चूंकि ऐसे मामलों को पहले से बलात्कार की परिभाषा में शामिल किया गया है, अतः धारा 69 के रूप में अलग अपराध बनाना इसे अनावश्यक बना देता है।
o अनुराग सोनी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य (2019): सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि जब तक झूठा वादा आरंभ से ही सिद्ध न हो, तब तक यह बलात्कार नहीं है।
o रजनीश सिंह बनाम सोनी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2025): 15 वर्ष के सहमति-आधारित संबंध को बलात्कार नहीं माना गया, क्योंकि महिला ने स्वयं को पत्नी के रूप में प्रस्तुत किया था।